गद्य पद्य संगम

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सोमवार, 8 जून 2015

मुक्तक


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नज़र से नजर मिली तो मुलाकातें बढ गई।
 हमारे तुम्हारे सफर की कुछ बातें बढ़ गई।
 हर मोड़ पर खोजने लगी तुम्हें मेरी आँखें,
ऐसा हुआ मिलन कि हर ख्यालों में आ गई।
@रमेश कुमार सिंह